अंडमान-निकोबार के रहने वाला एक व्यक्ति समुद्र में दो खतरनाक तूफान का सामना करने और करीब 28 दिन तक बिना कुछ खाए जिंदा रहने के बाद अपने घर लौटने में कामयाब रहा। लेकिन इस दौरान उसने अपने एक साथी को खो दिया। दोनों समुद्र में नावों और जहाजों को किराने के सामान और पीने के पानी की आपूर्ति करते थे।
49 साल के अमृत कुजूर बेहोशी और बेहद कमजोरी की हालत में रविवार को ओडिशा के चिल्का इलाके में खिरीसाही गांव के तट पर लोगों को अपनी टूटी-फूटी नाव के साथ मिला। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी। इलाज कराने के बाद अब उसकी हालत ठीक है। उसे स्थानीय प्रशासन की मदद से अंडमान-निकोबार भेज दिया गया है।
दोस्त को सामने मरते देखा
49 साल के कुजूर ने बताया, " मैं अपने दोस्त दिव्यरंजन के साथ 28 सितंबर को शहीद द्वीप से हिंद महासागर में माल बेचने नाव से निकला था। नाव पर करीब 5 लाख रुपए का माल था, जिसमें एक नई स्कूटी भी थी। कुछ दूर जाने के बाद हमारी नाव तूफान में फंस गई और हम रास्ता भटक गए। तूफान के वक्त नाव में पानी भर गया। हमने नाव का वजन कम करने के लिए काफी सामान समुद्र में फेंक दिया। इस बीच, हमने वहां से गुजरने वाले जहाजों से मदद भी मांगी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
कुजूर ने बताया, "तूफान की वजह से हम म्यांमार पहुंच गए थे। यहां नेवी ने हमें एक कंपास, छोटी नाव और 260 लीटर फ्यूल दिया। ताकि हम सुरक्षित अंडमान निकोबार पहुंच सके। लेकिन, फिर हमारा सामना दूसरे तूफान से हो गया। इससे हम फिर से रास्ता भटक गए थे। अब नाव में कुछ भी खाने और पीने का सामान नहीं बचा था। दिनों-दिन कमजोर हो रहे थे। दिव्यरंजन इन परिस्थिति को नहीं सह सका। भूख और डिहाइड्रेशन से उसकी मौत हो गई। मैंने उसके शव को दो दिन तक नाव में रखे रहा। जब शव सड़ने लगा तो उसे समुद्र में फेंक दिया।"
बारिश का पानी पीकर जिंदा रहे
कुजूर ने बताया कि हम दोनों ने जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ दी थी। हमने बारिश का पानी तौलिए को गीलाकर एकत्रित किया और फिर पिया। इस दौरान हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं था।